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विवादित विचार

Manoj Gautam
Manoj Gautam
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दैनिक जागरण के २० अक्टूबर २०१० के संपादकीय में छपे कुलदीप नय्यर के आलेख (गलत समय पर सही विचार ) शीर्षक में उमर अब्दुल्ला जिस में उमर ने भारत में कश्मीर विलय को पूर्ण नहीं माना था किन्तु उमर द्वारा दिए गए बयान के समय को ठीख नहीं बतया था जो की अलगाव वादियों की भाषा को दर्शाता है
जबकि वास्तविकता यह है की तत्कालीन महराजा हरी सिंह द्वारा विलय तो पूर्ण हुआ था किन्तु नेहरु जी भावुक होने के कारन धारा ३७० लगाने की बात कह गए
तीसरे कालम में अब्दुल्ला को बारह वर्ष तक नज़रबंद बताया जबकि सभी समाचार पत्रों में २२ वर्ष तक जेल में बंद बताया गया था
एक अन्य लेख में अयोध्या निर्णय पर शांति का श्रय केवल मुसलमानों को देते है जबकि वास्तविकता यह है की शांति का श्रय देश की जनता को जाता है
अयोध्या निर्णय को आस्था पर आधारित बता कर नयायालय पर प्रशन चिन्ह लगा दिया परन्तु आलेख में ए ए ऍफ़ आई के प्रमाण को नज़रंदाज़ कर दिया

२९ ओक्टूबर २०१० के सम्पादिक्य मैं देवेंदर शर्मा का आलेख घरेलु सम्पदा की अनदेखी शीर्षक में गाय को पवित्र बताया है किन्तु भारत से ब्राज़ील को मांस के निर्यात करने वालो के विरोध में दो शब्द नहीं कहे !
३०ओक्तोबेर २०१० के संपादकीय मैं राजीव शुक्ल का आलेख ” ओबामा की यात्रा का सन्देश ” का निष्कर्ष यह है की ओबामा की यात्रा से पाक प्रयोजित आतंक बंद होगा

जबकि अमेरिका एक अलग रास्ट्र है पाक और भारत से उस के निजी हित है अमेरिका हमारा थानेदार नहीं और न ही उसने हमारी रक्षा का ठेखा ले रखा है ! ११५ करौड से अधिक जनसँख्या वाले देश भारत ३० करौड वाले देश अमेरिका से यह याचना करे की आप १६ करौड की आबादी वाले देश पाक को भारत में आतंक फ़ैलाने से रोके यह सत्तापक्ष की कायरता लगती है जो देश की जनता को भी कायर बनाने की मुहीम है!

मनोज गौतम

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