Menu
blogid : 3624 postid : 42

मिलावटखोरो के प्रति सरकार की नरमी के कारन बेहिसाब मिलावट या बेलगाम अपमिश्रण

Manoj Gautam
Manoj Gautam
  • 35 Posts
  • 30 Comments

खाद्य पदार्थ बनाने वाली फैक्ट्री एवं विक्रय करने वालों का मानवीय द्रष्टिकोण से ज्यादा कहीं अधिक धन कमाना है ! एक समय था जब दूध में पानी व् घी में डालडा अपमिश्रण के रूप में प्रयोग होता था किन्तु विगत वर्षों में दूध घी के साथ अन्य खाने पीने की वस्तुओं  में विषाक्त स्वभाव वाले खतरनाक रसायन पशु चर्बी एवं अन्य अखाद्य पदार्थ मिलाये जा रहे है

मिलावट के कुछ कारन ऐसे भी है जो अवैध नहीं है जैसे खाद्य पदार्थो में एक रूपता बनाये रखने के लिए कुछ ऐसे पदार्थ मिलाये जाते है जिससे खाद्य  पदार्थो का रंग रूप एवं सुवास लम्बे समय तक सामान रहे जिसमें कुछ वृक्षों के बीजों से तैयार (एन्नोट रंग ) दूसरा कारन खाद पदार्थो को लम्बे समय तक सरंक्षित रखने के लिए रसायनों की आशिंक मात्रा मिलायी जाती है जिनसे खाद पदार्थो मैं सूक्ष्म जीव, बैक्टीरिया फंगस की वृद्दि न हो जैसे आचार सॉंस में साइट्रिक एसिड, एसिटिक असिड दूध में कैल्सियम कार्बोनेट!

तीसरा कारन विषाक्त रसायन एवं पशु चर्बी को असली खाद्य पदार्थ व् घी के रूप में विक्रय करना या अपमिश्रण के रूप में प्रयुक्त करना है यह पद्धति   उपभोक्ता के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली है जो की दूध घी तक ही सिमित नहीं रही फल पकाने के लिए कारबाईट, सब्जयों को चमकदार बनाने के लिए लैड तथा कापर सल्फेट, दुधारू पशुओं को आक्सीटोसिन का इंजक्शन तथा दूध बनाने के लिए यूरिया सोडा प्रयोग में लाया जा रहा है

दूध की भोतिक दशा रंग तथा अपारदर्शी होना दूध के अपमिश्रण को प्रोत्साहित करतें है क्योकि इसमें वाह्य पदार्थों की पहचान नहीं हो पाती दूध का वैधानिक मान गाय के दूध में ३.५ प्रतिशत वसा , ८.५ प्रतिशत वसा रहित ठोस पदार्थ, भैंस के दूध में ६ प्रतिशत वसा और ९ प्रतिशत वसा रहित ठोस पदार्थ की मात्रा इन मानकों से कहीं ज्यादा होती है जिसमें की भैंस के दूध में से थोड़ी सी क्रीम निकाल कर या पानी मिला कर या कृत्रिम विधि (रसायनों द्वारा ) दूध  को बेचा जा रहा है जिसमें लाखों टन पशु चर्बी डालडा एवं रसायन अपमिश्रण के लिए प्रयोग मैं लाया जाता है

भण्डारग्रहों में भंडारित गेहूँ चावल दाल एवं अन्य खाद्यान को लम्बे समय तक कीटमुक्त रखने के लिए कीटनाशक का प्रयोग फुआर और गैसीय  विष (धुम्रण ) विधि के रूप में किया जाता है फुआर पद्धति द्वारा प्रयुक्त कीटनाशक को भंडारित खद्यान आंशिक रूप से अवशोषित करता है तथा भंडारग्रहों में धुम्रण हेतु एल्युमिनियम, फासफाइड( गैसीय  विष ) जो गोली के रूप में होता है भंडारित खाद्यान के बोरों पर रख दी जाती है जो वायु और नमी के संपर्क से क्रिया कर फास्फीन गैस निकालती है जो कीड़ों को मार देती है तथा गोली का चूर्ण शेष बचता है वह भंडारित खाद्यान में मिल जाता है अतः स्पस्ट है की अधिकांश खाने पीने के पदार्थो में विषाक्तता दिनों दिन बढती जा रही है मिलावट खोर मिलावट के नित नए तरीके अपना रहे है

सम्बंधित संस्थाओं द्वारा निर्धारित मानक एवं गुणविनिर्द्रष्टियों  के अनुरूप खाद्य पदार्थ नहीं कहे जा सकते नारकोटिक ड्रग एंड सायकोट्रोपिक  सब्सटेंस एक्ट १९८५ के अनुसार चरस अफीम गांजा एवं अन्य स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले नशीले पदार्थों के क्रय विक्रय एवं उपभोग    करने वालों को आजीवन कारावास की सजा एवं एक लाख रूपये जुर्माने तक का प्रावधान है जबकि खाने पीने की वस्तुओं में  इतने खतरनाक   रसायन अपमिश्रण के रूप में प्रयोग किये जा रहे है जो उपभोगता के अमाशय , त्वचा , तंत्रिका तंत्र के लिए नशीले पदार्थो से भी घातक है जिस पर  सभी सरकारे तटस्थ हैं

यदि खाद्य पदार्थो में मिलावट न रुकने के कारन तलाशे जाये तो खाद्य पदार्थों को बेचने बनाने वाली इकाइयों का निरिक्षण न होना व् दंड न मिलना है ! मिलावटखोरों के अधिकांश मामले मीडिया या गुप्त सूचना के आधार पर प्रकाश में आतें है जो कार्य शासन-प्रशासन का है उसे मीडिया और जनता करें फिर भी शासन-प्रशासन अपमिश्रण जैसी गंभीर समस्या को समाप्त करने हेतु प्रभावी कदम न उठाए यह शासन की निष्क्रियता का एक उदहारण है शासन द्वारा ही प्रशासन संचालित है शासन ने उक्त के सन्दर्भ में प्रशासन को कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं दिया है जबकि मिलावट खोर दबंग एवं राजनैतिक प्रभाव वालें है आश्चर्ये एवं दुखद यह भी है की मीडिया द्वारा बार बार मिलावट खोरों के प्रकरण उजागर करने के बाद भी देश की जनता मिलावट खोरो का शशक्त विरोध नहीं कर रही है जबकि छोटी छोटी समस्या को लेकर आंदोलित हो उठती है यह बात देश की जनता के संज्ञान में आनी चाहिए की देश की छोटी बड़ी खाने पीने की वस्तुएं बनाने वाली फैक्ट्री के सापेक्ष कितने खाद्य निरक्षक है कितनी प्रयोग शाला है जो खाद्य अपमिश्रण का परिक्षण कर सके सरकार को चाहिए खाने पीने की वस्तुओं के उत्पादन बढ़ाने के साथ साथ अपमिश्रण ज्ञात करने के शिघ्राचारी     तरीके खोजने चाहिय प्रत्येक शहर ,कस्बों में प्रयोग शाला स्थापित हों तथा खाद्य पदार्थो में मिलाएं जाने वाले परिरक्षी रसायनों का गुण धर्म खाद्य   पधार्थों के आवरण पर अंकित हो यह छात्रों के पाठ्यक्रम में भी संचालित हो की किस किस खाद्य अपमिश्रण का कैसे कैसे परिक्षण किया जाये तथा  भिन्न भिन्न छोटी बड़ी खाने पिने की वस्तु बनाने ,बेचने वाली इकाइयों का औचक निरक्षण होना दोषियों के प्रति किसी भी तरह की सहानुभूति न बरतना व् कठोर दंड देने से ही अपमिश्रण रोक पाना संभव हो सकेगा

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh